
क्या वाकई में सोशल मीडिया भारत की युवा पीढ़ी को खराब कर रही है
युवा वर्ग पर सोशल मीडिया का प्रभाव विभिन्न तरीकों से हो सकता है। कुछ प्रमुख प्रभावों में शामिल हैं:
- संचार और जुड़ाव: सोशल मीडिया युवा के लिए व्यक्तिगत और सामाजिक संपर्कों का महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है। वे दूरस्थ संपर्कों में जुड़े रह सकते हैं और विचार विमर्श कर सकते हैं।
- शिक्षा और ज्ञान: सोशल मीडिया युवाओं को शिक्षा, समाचार, और विशेषज्ञ ज्ञान की विविधता प्रदान कर सकता है।
- मनोबल और स्थिति की भावना: सोशल मीडिया पर उपस्थित होने से युवा व्यक्ति अपने आप को महत्वपूर्ण महसूस कर सकते हैं, लेकिन यह भी उनकी अपेक्षाओं और आत्मसमर्पण में परिणामित हो सकता है।
- सामाजिक चुनौतियाँ: कई बार, सोशल मीडिया युवा को सामाजिक दबावों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि रुचियों और शौकों के लिए उत्साह और प्रतिस्पर्धा।
- स्वास्थ्य और व्यक्तिगत विकास: सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग स्वास्थ्य और व्यक्तिगत विकास को प्रभावित कर सकता है, जैसे कि नींद और मानसिक स्वास्थ्य के पहलुओं पर।
- सोशल मीडिया से युवाओं में अवसाद बढ़ रहा फेसबुक से डिप्रेशन का खतरा 7% और चिड़चिड़ापन का खतरा 20% बढ़ा है. सोशल मीडिया ने मोटापा, अनिद्रा और आलस्य की समस्या बढ़ा दी है. ‘फियर ऑफ मिसिंग आउट’ को लेकर भी चिंताएं बढ़ गयी हैं. स्टडी के मुताबिक, सोशल मीडिया से सुसाइड के मामले बढ़े हैं.
इसलिए, सोशल मीडिया का सही रूप से उपयोग करना युवा के लिए सकारात्मक प्रभावों का स्रोत बन सकता है, लेकिन अत्यधिक उपयोग या अनुयायियों के दबाव का कारण भी बन सकता है।
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