ट्रम्प प्रशासन का एच-1बी शुल्क निर्णय: भारत के लिए चुनौती और अवसर – आरतिया

ट्रम्प प्रशासन का एच-1बी शुल्क निर्णय: भारत के लिए चुनौती और अवसर – आरतिया

जयपुर । अखिल राज्य ट्रेड एंड इंडस्ट्री एसोसिएशन (आरतिया) ने एक विज्ञप्ति जारी करके बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा एच-1बी वीजा आवेदन पर 100,000 डॉलर वार्षिक शुल्क लगाने का निर्णय भारतीय आईटी उद्योग और पेशेवरों के लिए बड़ी चुनौती लेकर आया है। भारत लंबे समय से अमेरिकी बाजार पर निर्भर रहा है, ऐसे में यह बदलाव सीधे तौर पर करियर अवसरों और कंपनियों की रणनीतियों को प्रभावित करेगा।

विष्णु भूत व आशीष सराफ ने विचार रखे कि इससे भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में काम करना महँगा और कठिन होगा। आईटी कंपनियों की प्रतिभा पाइपलाइन बाधित हो सकती है। अमेरिकी कंपनियों की लागत बढ़ेगी, जिससे आउटसोर्सिंग कार्य भारत की ओर शिफ्ट हो सकता है व भारतीय कंपनियाँ अमेरिका में स्थानीय नियुक्ति को बढ़ावा दे सकती हैं।

कमल कंदोई व अजय गुप्ता ने बताया कि इस हेतु घरेलू आईटी सेवाओं और नए वैश्विक बाजारों पर ध्यान देकर निर्भरता घटाई जा सकती है तथा यह स्थिति भारत को आत्मनिर्भर तकनीकी क्षमताओं के विकास की ओर प्रेरित कर सकती है।

प्रेम बियानी व जितेंद्र अग्रवाल का मानना है कि भविष्य में यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे अन्य देश भी स्थानीय रोजगार बढ़ाने के लिए इसी तरह की नीतियाँ अपना सकते हैं। भारत के लिए यह एक चेतावनी है कि केवल अमेरिकी बाजार पर निर्भर रहना सुरक्षित नहीं है। साथ ही साथ विदेशी अनुभव वाले भारतीय पेशेवरों को भारत लौटने के लिए प्रोत्साहित करना।
दिनेश गुप्ता ने सुझाव दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और निवेश बढ़ाया जाना आवश्यक है।

अखिल राज्य ट्रेड एंड इंडस्ट्री एसोसिएश (आरतिया) के अनुसार यह निर्णय भारत के आईटी उद्योग के लिए अल्पकालिक चुनौतियाँ लेकर आया है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अवसर भी है। हमें अपनी तकनीकी क्षमताओं को विकसित कर विदेशी निर्भरता घटाने और नए वैश्विक बाजार तलाशने की आवश्यकता है।
ट्रम्प प्रशासन का एच-1बी शुल्क निर्णय भारत के आईटी सेक्टर के लिए चुनौती है, लेकिन साथ ही एक बड़ा अवसर भी है। यदि भारत आत्मनिर्भरता और स्वदेशी तकनीकी विकास पर फोकस करता है, तो मौजूदा संकट को अवसर में बदलकर वैश्विक तकनीकी शक्ति के रूप में उभर सकता है।

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